मैत्सुदा जेब्रिया बनाम कशिमा काकी
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स्टेज़ कभी सिर्फ पिच नहीं थी
मैत्सुदा रिकुजोफ़ मैदान में मैं पत्रकार नहीं, बल्कि साक्षी था। प्रशंसा के सचेंगे, प्रयास के संगठन पर।
स्कोरबोर्ड के तलहट का ताल
कशिमा काकी 8-1-3 से हमलत हुआ—ठंड-बख़्ति। पर?घर मण्डप में होकर
प्रतिरोध का पैलेट
काले,लाले,नीले—खाली सीटों पर। CGIफ़ैंटसी नहीं—गतिशील मनोविज्ञान。
हाफ-टाइम का समझ
कशिमा…अबतक;पर…आज?जय!उससे
हमने कभीगणन
अंतिम सचेंग…प्रशंसा…चुप…धाति यहखेल** एकअधय एव**
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RiversideChaos7
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